अलग – अलग बीमारियो के आयुर्वेदिक इलाज़
💢पेट सम्बंधित समस्त रोग –
🌺– सप्तक चूर्ण –
इस आयुर्वेदिक औषधी से पेट के सारे रोगो, बवासीर, पान्डु, कृमि, कास-खान्सी, अग्निमान्द्य, मन्दाग्नि, भूख का खुलकर न लगना, ज्वर / साधारण बुखार, गुल्म रोग आदि में बहुत फायदा पहुचता है। इस आयुर्वेदिक औषधी को तिल सप्तक चूर्ण कहते है।
🌺इसे बनाने के लिए-
तिल, चीता यानी चित्रक, सोन्ठ, मिर्च काली, पीपल छोटी, वाय विडन्ग, बडी हरड़, इन सभी जड़ीबूटियों का चूर्ण बना लें। चूर्ण बनाने के लिये पहले सभी द्रव्यों के छोटे छोटे टुकडे कर लें फिर मिक्सी अथवा इमाम दस्ते या खरल में डालकर महीन चूर्ण बना लें।
इस प्रकार से महीन चूर्ण किया गया पदार्थ औषधि के उपयोग के लिये तैयार है। इस चूर्ण को ३ ग्राम से लेकर ६ ग्राम की मात्रा मे बराबर गुड़ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करना चाहिये।
🌺– पेट के कीड़े (विडन्गादि चूर्ण) –
इस आयुर्वेदिक औषधी से पेट के सारे कीड़े एकदम जड़मूल से नष्ट हो जाते है जिससे शरीर में हर खाई पीयी चीज़ का पूरा पोषण और ताकत मिलती है। इस आयुर्वेदिक औषधी को विडन्गादि चूर्ण कहते है।
🌺इस बनाने के लिए- वाय विडन्ग, सेन्धा नमक, हीन्ग, कालानमक, कबीला, बड़ी हरड, छोटी पीपल, निशोथ की जड़ की छाल ; इतने द्रव्य बराबर बराबर लेना है। इन सभी द्रव्यों का महीन चूर्ण बना लें और इस चूर्ण की मात्रा आधा चम्मच गरम / गुनगुने जल या दही की पतली लस्सी या मठ्ठा के साथ दिन मे दो या तीन बार लेना चाहिये।
🌺– त्रिकटु चूर्ण –
इस आयुर्वेदिक औषधी को त्रिकटु चूर्ण इसलिए कहते है क्योकि इसमें सिर्फ ३ सामान्य चीज़ो, जो हर घर में आसानी से मिलती है, मिलाकर पेट के लिए फायदेमंद दवा बनती है।
🌺इसे बनाने के लिये तीन द्रव्यों की आवश्यकता होती है- सोन्ठ या सूखी हुयी अदरख, काली मिर्च, छोटी पीपल। इस तीनों को बराबर बराबर मात्रा में लेकर कूट पीसकर अथवा मिक्सी में डालकर महीन चूर्ण बना लें , ऐसा बना हुआ चूर्ण को “त्रिकटु चूर्ण” के नाम से जानते है। यह चूर्ण अपच, गैस बनना, पेट की आंव, कोलायटिस, बबासीर, खान्सी, कफ का बनना, साय्नुसाइटिस, दमा, प्रमेह तथा अनुपान भेद से बहुत सी बीमारियों में लाभ पहुन्चाता है। इसे सेन्धा नमक के साथ मिलाकर खाने से वमन, जी मिचलाना , भूख का न लगना आदि मे लाभकारी है।
🌺– त्रिफला (हर्र, बहेड़ा, आंवला) तीनों समान मात्रा में कूट पीसकर रख लें। 3 ग्राम से 5 ग्राम तक की मात्रा रात्रि में सोते समय गुनगुने पानी के साथ लें। लगातार कुछ दिनों तक लेने से लाभ अवश्य देगा। साथ ही रात्रि में तांबे के पात्र में पानी रख लें एवं सुबह उसे पी लें। इसके दस मिनट बाद शौच जायें, आराम से पेट साफ होगा।
🌺 प्रतिदिन कम से कम 1 हरड़ अवश्य चूसें, चूस कर ही यह पेट में जाय। लगातार कुछ दिन इसका प्रयोग करने पर हर तरह की कब्ज दूर हो जाती है।
🌺 त्रिफला 25 ग्राम, सौंफ 25 ग्राम, सोंठ 5 ग्राम, बादाम 50 ग्राम, मिश्री 20 ग्राम लें और गुलाब के फूल 50 ग्राम भी लें। सभी को कूट-पीसकर एक शीशी में रख लें। रात्रि में सोते समय 5 से 7 ग्राम तक दवा दूध या शहद के साथ लें।
💢गठिया रोग –
➖➖➖➖
– 100 ग्राम तारपीन का तेल, 30 ग्राम कपूर, 10 ग्राम पिपरमिण्ट, इन सबको मिलाकर धूप में एक दिन रखें। जब यह सब तारपीन में मिल जाये, तो दवा तैयार हो गई। जिन गाठों में दर्द हो, वहां पर यह दवा लगाकर धीरे-धीरे 15 मिनट तक मालिश करें और इसके बाद कपड़ा गरम करके उस स्थान की सिकाई कर दें। एक सप्ताह में ही दर्द में आराम मिलने लगेगा।
🌺– आँवला चूर्ण 20 ग्राम, हल्दी चूर्ण 20 ग्राम, असंगध चूर्ण 10 ग्राम, गुड़ 20 ग्राम इन चारों औषधियों को 500 ग्राम पानी में डालकर धीमी आँच में पकाये, जब पानी 100 ग्राम रह जाये तो उसे आग से उतार कर कपड़े या छन्नी से छान लें एवं इस काढ़े की तीन खुराक बनायें।
सुबह, दोपहर एवं रात्रि में खाने के बाद पियें। इस प्रकार प्रतिदिन सुबह यह दवा बनायें, लगातार 30 दिन पीने पर गठिया में निश्चित रूप से आराम होता है।
💢पित्त रोग-
➖➖➖➖
🌺पीपल (गीली) चरपरी होने पर भी कोमल और शीतवीर्य होने से पित्त को शान्त करती है।
🌺खट्टा आंवला, लवण रस और सेंधा नमक भी शीतवीर्य होने से पित्त को शान्त करती है।
🌺गिलोय का रस कटु और उष्ण होने पर भी पित्त को शान्त करता है।
🌺हरीतकी (पीली हरड़) 25 ग्राम, मुनक्का 50 ग्राम, दोनों को सिल पर बारीक पीसकर उसमें 75 ग्राम बहेड़े का चूर्ण मिला लें। चने के बराबर गोलियां बनाकर प्रतिदिन प्रातःकाल ताजा जल से दो या तीन गोली सेवन करें। इसके सेवन से समस्त पित्त रोगों का शमन होता है। हृदय रोग, रक्त के रोग, विषम ज्वर, पाण्डु-कामला, अरुचि, उबकाई, कष्ट, प्रमेह, अपरा, गुल्म आदि अनेक ब्याधियाँ नष्ट होती हैं।
🌺10 ग्राम आंवला रात्रि में पानी में भिगो दें। प्रातःकाल आंवले को मसलकर छान लें। इस पानी में थोड़ी मिश्री और जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करें। तमाम पित्त रोगों की रामबाण औषधि है। इसका प्रयोग 15-20 दिन करना चाहिए