बथुआ अच्छे से साफ़ करके सिल पर पीसे और महीन सूती कपडे से निचोड़कर रस निकाल लें. इस प्रकार से निकाला हुआ लगभग 200 ml बथुआ के रस में चुटकी भर कालीमिर्च का चूर्ण और जरा सा सेंधानमक मिलाकर एक बार में या दो तीन खुराक बनाकर दिनभर में पियें.
बथुआ मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है लाल और हरा . जो आसानी से उपलब्ध हो उसी का उपयोग कर लें लाल बथुआ ज्यादा अच्छा है.
बथुआ का जूस किडनी मूत्राशय आदि की पथरी निकालने में बहुत उपयोगी है. किडनी यूरेटर और ब्लैडर की कितनी भी बड़ी पथरी हो धैर्य पूर्वक सेवन करते रहने से धीरे धीरे गल कर निकल जाती है.. यह प्रयोग ऐसे लोगों के लिए बहुत ही अच्छा है जो धनाभाव, वृद्धावस्था या अन्य किसी कारण से ऑपरेशन नहीं करा सकते या महँगी औषधियां प्रयोग नहीं कर सकते.
इस प्रयोग को करने से गुर्दों की शक्ति भी बढती है. रक्त की वृद्धि होती है. कील मुहासे साफ़ होकर सौन्दर्य बढ़ता है.
वैसे तो बथुआ की खेती में खाद आदि की आवश्यकता नहीं होती फिर भी प्रयास करें की बथुआ ऐसी जगह से लें जहाँ कृत्रिम खाद और कीटनाशक का प्रयोग न किया गया हो
बथुआ मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है लाल और हरा . जो आसानी से उपलब्ध हो उसी का उपयोग कर लें लाल बथुआ ज्यादा अच्छा है.
बथुआ का जूस किडनी मूत्राशय आदि की पथरी निकालने में बहुत उपयोगी है. किडनी यूरेटर और ब्लैडर की कितनी भी बड़ी पथरी हो धैर्य पूर्वक सेवन करते रहने से धीरे धीरे गल कर निकल जाती है.. यह प्रयोग ऐसे लोगों के लिए बहुत ही अच्छा है जो धनाभाव, वृद्धावस्था या अन्य किसी कारण से ऑपरेशन नहीं करा सकते या महँगी औषधियां प्रयोग नहीं कर सकते.
इस प्रयोग को करने से गुर्दों की शक्ति भी बढती है. रक्त की वृद्धि होती है. कील मुहासे साफ़ होकर सौन्दर्य बढ़ता है.
वैसे तो बथुआ की खेती में खाद आदि की आवश्यकता नहीं होती फिर भी प्रयास करें की बथुआ ऐसी जगह से लें जहाँ कृत्रिम खाद और कीटनाशक का प्रयोग न किया गया हो