आयुर्वेद ने महिलाओं में 20 प्रकार के योनि
रोग बताए
हैं, जिनमें से कोई भी रोग स्त्री के बाँझपन
का कारण
हो सकता है। यूँ तो बन्ध्यत्व के कई कारण
हो सकते हैं
पर मुख्यतः स्त्री बाँझपन तीन प्रकार का
होता है-
पहला- आदि बन्ध्यत्व यानी जो स्त्री पूरे
जीवन में
कभी गर्भ धारण ही न करे, इसे प्राइमरी
स्टेरेलिटी
कहते हैं। दूसरा- काक बन्ध्यत्व यानी एक
संतान को
जन्म देने के बाद किसी भी कारण के पैदा
होने से
फिर गर्भ धारण न करना। एक संतान हो
जाने के बाद
स्त्री को बाँझ नहीं कहा जा सकता अतः
ऐसी
स्त्री को काक बन्ध्त्व यानी वन चाइल्ड
स्टेरेलिटी…
मनुष्यों में एक वर्ष तक प्रयास करते रहने के
बाद अगर
गर्भधारण नहीं होता तो उसे बन्ध्यता या
अनुर्वरता
कहते हैं। यह केवल स्त्री के कारण नहीं
होती। केवल एक
तिहाई मामलों में अनुर्वरता स्त्री के
कारण होती है।
दूसरे एक तिहाई में पुरूष के कारण होती है।
शेष एक
तिहाई में स्त्री और पुरुष के मिले जुले
कारणों से या
अज्ञात कारणों से होती है।
अनुर्वरता के मुख्य कारण
लगभग 15% युगल अपनी पहली गर्भावस्था के
प्रयास
में विफल होते है यदि नए युगल संभोग के एक
वर्ष के
बाद भी गर्भावस्था को प्राप्त करने में
असमर्थ होते
है तो ऐसे रोगियों में बांझपन की समस्या
हो सकती
है परिभाषित. तथ्य यह है कि सभी बांझपन
का
सामना कर रहे जोड़ों का 60%, एक पुरुष
कारक
शामिल है. जबकि subfertility मामलों का
लगभग 40%
में अकेले पुरुष में और दूसरा 20% में दोनों पुरुष
और
महिला रहे हैं. कुछ शारीरिक दोषों के
कारण
(अल्पशुक्राणुता) गिनती और शुक्राणु की
गुणवत्ता
खराब हो जाती है जिसके कारण पुरुष
बांझपन के लिए
जिम्मेदार होते हैं कुछ कारण अस्पष्टीकृत
होते है, जैसे
गंभीर बीमारी, कुपोषण, आनुवंशिक
असामान्यताएं,
प्रदूषण, और भी कुछ दवाओं, हार्मोन और
रसायनों के
दुष्प्रभावों के मामलों के बाकी हिस्सों में
जिम्मेदार
हैं. (संक्षेप में, यह संख्या लेकिन शुक्राणु की
गुणवत्ता
कि प्रजनन क्षमता में महत्वपूर्ण है नहीं है).
पुरूष के सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं जीवन शैली का
प्रभाव
शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता पर
प्रभाव पड़ता
है। जिन चीज़ों से शुक्राणुओं की संख्या
और गुणवत्ता
घटती है उस में शामिल हैं – मदिरा एवं ड्रग्स
,
वातावरण का विषैलापन जैसे कीटनाशक
दवाएं,
धूम्रपान, मम्पस का इतिहास, कुछ विशिष्ट
दवाँएं
तथा कैंसर के कारण रेडिएशन।
*.अंडे की गुणवत्ता
*.अवरुद्ध अण्डवाही ट्यूबें
*.असामान्य हार्मोन के स्तर
*.जीवन शैली
*.यौन संचारित रोग
*.मोटापा
*.शुक्राणु बनने की समस्य – बहुत कम शुक्राणू
या
बिलकुल नहीं।
*.मदिरा, ड्रग्स एवं सिगरेट पीना
*.वातावरण का विषैलापन जैसे कीटनाशक
दवाएं
यौनपरक संक्रमण से अनुर्वरकता
यौनपरक संक्रमण के कारणभूत जीवाणु
गर्भाशय और
ट्यूबों की ग्रीवा में प्रवेश पा सकते हैं और
अण्डवाही
ट्यूबों के अन्दर की त्वचा को अनावृत
(नंगा) कर देते हैं
हो सकता है कि अन्दर पस बन जाए।
एन्टीबॉयटिक
बगैरह खा लेने से यदि वह ठीक भी हो जाए
तो भी
हो सकता है कि ट्यूब के अन्दर की नंगी
दीवारें आपस
में जुड़कर टूयूब को बन्द कर दें और अण्डे को या
वीर्य
को आगे न बढ़ने दें सामान्यतः गर्भ धारण के
लिए
अण्डा और वीर्य ट्यूबों में मिलते हैं तो
उर्वरता होती
है।
अधिक आयु
बच्चे को जन्म देने की सम्भावनाएं बढ़ती
उम्र के साथ
निम्न कारणों से घटती है
*.उर्वरण के लिए तैयार अण्डे के निष्कासन
की
सामर्थ्य में बढ़ती उम्र के साथ कमी आ
जाती है।
बांझपन का इलाज
*.बढ़ती उम्र के साथ ऐसी स्वास्थ्यपरक
समस्याएं हो
सकती है जिनसे उर्वरकता में बाधा पड़े।
*.साथ ही गर्भपात की सम्भावनाएं भी
बहुत बढ़
जाती हैं।
बांझपन की दशा में...
1 * सेमर की जड़ पीसकर ढाई सौ ग्राम
पानी में
पकाएं और फिर इसे छान लें। मासिक धर्म के
बाद चार
दिन तक इसका सेवन करें।
2 50 ग्राम गुलकंद में 20 ग्राम सौंफ
मिलाकर
चबाकर खाएं और ऊपर से एक ग्लास दूध
नियमित रूप से
पिएं। इससे आपको बांझपन से मुक्ति मिल
सकती है।
3 गुप्तांगों की साफ सफाई पर विशेष
ध्यान दें।
खाने में जौ, मूंग, घी, करेला, शालि चावल,
परवल,
मूली, तिल का तेल, सहिजन आदि जरूर
शामिल करें।
4 * पलाश का एक पत्ता गाय के दूध में
औटाएं और उसे
छानकर पिएं। मासिक धर्म के बाद से
पीना शुरू करें
और 7 दिनों तक प्रयोग करें।
5 * पीपल के सूखे फलों का चूर्णं बनाकर रख
लें।
मासिक धर्म के बाद 5-10 ग्राम चूर्णं
खाकर ऊपर से
कच्चा दूध पिएं। यह प्रयोग नियमित रूप से
14 दिन तक
करें।
6 * मासिक धर्म के बाद से एक सप्ताह तक 2
ग्राम
नागकेसर के चूर्णं को दूध के साथ सेवन करें।
आपको
फाएदा होगा।
7 * 5 ग्राम त्रिफलाधृत सुबह शाम सेवन करने
से
गर्भाशय की शुद्धि होती है। जिससे
महिला
गर्भधारण करने के योग्य हो जाती है।
गर्भधारण हेतू कुछ उपाय
8 * तीन ग्राम गोरोचन, 10 ग्राम असगंध,
20 ग्राम
गजपीपरी तीनों को बारीक पीसकर चूर्णं
बनाएं।
फिर पीरिएड के चौथे दिन से निरंतर पांच
दिनों तक
इसे दूध के साथ पिएं।
9 * महिलाओं को शतावरी चूर्णं घी – दूध में
मिलाकर खिलाने से गर्भाशय की सारी
विकृतियां
दूर हो जाएंगीं और वे गर्भधारण के योग्य
होगी।
10.. 10 ग्राम पीपल की ताज़ी कोंपल
जटा जौकुट
करके 500 मि.ली. दूध में पकाएं। जब वह
मात्र 200
मि.ली. बचे तो उतारकर छान लें। फिर इसमें
चीनी
और शहद मिलाकर पीरिएड होने के 5वें या
6ठे दिन से
खाना शुरू कर दें। यह बहुत अच्छी औषधि
मानी जाती
है।