--खून की कमी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक देखी जाती है। शरीर में आयरन की कमी से लाल रक्त कणिकाओं और हीमोग्लोबिन का निर्माण प्रभावित होता है ।
--जब हमारे खून में लाल रक्त कणिकाओं की कमी हो जाती है तो हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन कम हो जाता है। हीमोग्लोबिन एक तरह का प्रोटीन होता है। यह शरीर में ऑक्सीजन के संचरण का काम करता है। इसकी कमी से एनीमिया नाम का रोग हो जाता है। एनीमिया मुख्य रूप से तीन तरह का होता है |
--हीमोग्लोबिन का स्तर पुरुष और महिलाओं में अलग-अलग होता है. महिलाओं और पुरुषों में हीमोग्लोबिन का आदर्श स्तर 12 ग्राम प्रति डेसीलीटर (डीएल या 0.1 लीटर) से 18 ग्राम प्रति डीएल होता है. लेकिन यदि पुरुषों में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12 ग्राम प्रति डेसीलीटर हो तो एनीमिया होने की आशंका ज़्यादा होती है जबकि औरतों में इतना ही हीमोग्लोबिन सामान्य होता है |
-- एनीमिया की विभिन्न स्थितियां -
1. शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर 10-12 ग्राम प्रति डीएल(gm/dl) हो तो ऐसी स्थिति
माइल्ड एनीमिया कहलाती है |
2.यदि हीमोग्लोबिन की मात्रा 6 से 10 ग्राम प्रति डीएल(gm/dl) हो तो व्यक्ति को मॉडरेट एनीमिया होता है |
3. 6 ग्राम प्रति डीएल(gm/dl) से कम हुआ हीमोग्लोबिन, तो सीवीयर यानी ख़तरनाक एनीमिया की स्थिति पैदा कर देता है |
मानव शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा-
---बच्चे (5 माह से 5 वर्ष तक) 11. 0 ग्राम/डीएल
--बच्चे (5 से12 वर्ष) 11. 5 ग्राम/डीएल
---किशोर (12 से15 वर्ष) 12 ग्राम/डीएल
--महिलाएं (15 वर्ष से अधिक) 12 ग्राम/डीएल
---महिलाएं (गर्भवती) 11. 0 ग्राम/डीएल
--पुरुष (15 वर्ष से अधिक) 13 ग्राम/डीएल
एनीमिया के कारण-
-- लौह तत्व की कमी। -- पेट में इन्फेक्शन के कारण ।
--विटामिन बी 12 की कमी । --- स्मोकिंग ।
--फोलिक एसिड की कमी । -- एजिंग
-- मां के दूध पिलाने के कारण । --- दवाइयों का साइड इफ़ेक्ट
-- बहुत ज्यादा खून की कमी होने पर ।
एनीमिया के क्या हैं लक्षण-
-- दिन-भर सुस्ती आना । -- सर्दी के प्रति ज्यादा संवेदनशील होना।
-- अधिक थकावट महसूस करना | -- पैरों और हाथों में सूजन आ जाना
-- शरीर में कमजोरी महसूस होना | -- क्रॉनिक हार्ट बर्न।
-- सांस लेने में परेशानी होना | -- ज्यादा पसीना आना।
-- घबराहट होना -- स्टूल में खून आना।
एनीमिया हो तो करें ये उपाय -
+ संतुलित भोजन खाएं, जिसमें अंडे, साबुत अनाज, सूखे मेवे, फल और हरी पत्तेदार सब्जियां भरपूर मात्रा में हों। भोजन में र॓शेदार पदार्थों का अधिक से अधिक मात्रा सेवन |
+ दूध, हरी सब्जी, फल, विटामिन ए व बी, अण्डा, लाल मीट, तुअर की दाल, राजमा, चावल व फाइबरयुक्त पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन कर॓ |
+लौहासव तथा आयरन वाले कैप्सूलों का प्रयोग सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।
+समय से पहले जन्मे बच्चों में आयरन की कमी हो जाती है। ऐसे बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान दें। एनीमिया का सबसे प्रमुख कारण आयरन की कमी है, इसलिए आयरन से भरपूर भोजन लें।
+ आयरन के अच्छे स्रोतों में, साबुत अनाज, ब्रेड, , सूखे मेवे, हरी पत्तेदार
सब्जियां, मटर, बादाम, खुबानी, फलियां, किशमिश लेवे ।
+ गेहूं, चना, मोठ, मूंग को अंकुरित कर नींबू मिलाकर सुबह नाश्ते में खाएं।
+ मूंगफली के दाने गुड़ के साथ चबा-चबा कर खाएं।
+ पालक, सरसों, बथुआ, मटर, मेथी, हरा धनिया, पुदीना तथा टमाटर खाएं।
+ फलों में पपीता, अंगूर, अमरूद, केला, सेब, चीकू, नींबू का सेवन करें।
+ अनाज, दालें, मुनक्का, किसमिस, गाजर तथा पिंड खजूर दूध के साथ लें।
+ चुकंदर , गाजर , पालक का जूस लेवे |
------ योगाभ्यास करें स्वस्थ रहें -
A) आसन का अभ्यास करे -
एनीमिया की स्थिति में प्रारम्भ में सूर्य नमस्कार के एक या दो चक्र, शवासन ,वज्रासन, पवनमुक्तासन, मर्करासन, तितली आसन, गोमुख आसन, मण्डूक आसन आदि का ही अपनी क्षमता के अनुसार अभ्यास करना चाहिए। जैसे-जैसे स्थिति में सुधार होता जाए, अभ्यास में धीरे-धीरे सर्वांगासन, पश्चिमोत्तासन ,उत्तानपादासन ,विपरीत-करणी मुद्रा,धनुरासन, वृश्चिकासन ,भुंजगासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन जैसे कठिन आसनों को जोड़ा जा सकता है।
B) प्राणायाम से ऑक्सीजन की मात्र बढ़ाएं-
एनीमिया के रोगी के लिए कपालभाति के साथ नाड़ीशोधन, भ्रामरी प्राणायाम ,अनुलोम विलोम , भस्त्रिका का अभ्यास बहुत लाभकारी सिद्ध होता है।
c) अन्य उपाय-
+ रोज सुबह-शाम टहलने जाएं। प्रात:काल नंगे बदन धूप में बैठें। नियमित रूप से सारे शरीर की मालिश करें। ठंडे पानी से स्नान करें और तौलिये से बदन को इस प्रकार रगड़ें कि त्वचा हल्की लाल हो जाए।