नमक हमारे शरीर के लिये आवश्यक तत्व है जो रक्तशोधक के रूप में काम करता है और शरीर के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करके होने वाली बीमारियों से रक्षा करता है इसे नियंत्रित मात्रा में लिया जाये तो अच्छा है । हमारे शरीर के लिये नमक की मात्रा निर्धारित है अगर नमक की मात्रा उससे कम या ज्यादा हुई तो संतुलन बिगड़ जाता है और तरह तरह के रोग शरीर पर हावी होने लगते हैं। नमक के अधिक प्रयोग से उच्चरक्त चाप तथा त्वचा रोग की चपेट में आ सकते है ।
प्राकृतिक नमक कम से कम पच्चीस प्रकार के होते हैं जिसमें चूना, आयोडीन, गंधक , कैल्शियम, फॉसफोरस, क्लोरीन इसके मुख्य रूप हैं जो हमारे शरीर के लिये अत्यंत आवश्यक है। ये सभी हमें हर तरह की हरी साग सब्जियों से प्राप्त होता है । इसलिये अप्राकृतिक बाहरी नमक कम से कम खायें।
प्राकृतिक खाद्य नमक- हमारी पृथ्वी में ऐसे बहुत सारे खाद्य पदार्थ हैं, जो हमारे जीवन के लिए उपयोगी हैं। खनिज नमक फलों, सब्जियों, अनाजों के जरिये हमारे को जीवन रस भी कह सकते हैं, जिन्हें हम अलग से नहीं पा सकते हैं, परंतु अनाज, सब्जियों, फलों के जरिये जब यह हमारे शरीर में जाता है, तो शरीर इसका पूरा-पूरा लाभ उठाता है। इन चीजों को अधिक देर तक पकाने से इनका प्राकृतिक नमक नष्ट हो जाता है। यदि यह प्राकृतिक नमक हमारे शरीर में खाद्य पदार्थों द्वारा नहीं पहुंचेगा, तो शरीर की विकास क्रिया, शोधन, शरीर की रचना रुक जाती है। शरीर के हर अवयव को नमक की जरूरत होती है। यदि शरीर में प्राकृतिक नमक न हो तो शरीर के निष्कासन क्रिया पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है, जैसे पसीना कम आता है, मलमूत्र निकलने में बाधा आती है। प्राकृतिक खाद्य नमक हमें (1) प्राणी जन्य यानि दूध, दही, अण्डा, मछली आदि से मिलता है। वनस्पति जन्य यानि फल, अनाज, सब्जियों से मिलता है। अगर शरीर में इस प्राकृतिक नमक की कमी हो तो काफी परेशानियां शरीर को झेलनी पड़ सकती है। रोज के खाद्य पदार्थों से ही हमें शरीर की आवश्यकता के अनुसार नमक शरीर को प्राप्त हो जाता है। परंतु यह मात्रा कम होने की वजह से बाहरी नमक की जरूरत पड़ती है।
2. अखाद्य नमक (अप्राकृतिक बाहरी नमक)- वनस्पतियों द्वारा पाया गया नमक यदि शरीर में कम हो जाये, तो उसकी पूर्ति बाहरी नमक नहीं कर पाता। कारण उस जगह पर बाहरी नमक को शरीर आत्मसात नहीं करता, बल्कि विजातीय तत्व समझ कर शरीर से बाहर फेंकने का प्रयास करेगा। अगर नहीं कर पाया तो यही चीज छोटी-छोटी बीमारियां बननी शुरू हो जायेगी। जब भोजन को प्राकृतिक रूप से पकाया गया हो, तो वाह्य नमक की जरूरत नहीं पड़ती।
विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक नमक-
1. सेंधा नमक- सफेद, लाल।
2. काला नमक
3. विड नमक
4. समुद्री नमक- यह नमक समुद्र से प्राप्त होता है। सबसे अच्छा नमक भारत के दक्षिणी भाग में मिलता है।
5. सांभर नमक
6. साधारण नमक- यह उत्तेजक औषधि के समान है। प्राकृतिक चिकित्सा में उत्तेजक औषधियों को कोई स्थान नहीं दिया गया है। कारण इस तरह की चीजें मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं, जैसे बिना किसी बीमारी के आप औषधि लेते हैं, तो आप को हानि होती है।
नमक के अधिक सेवन से होने वाली परेशानियां-
अधिक नमक खाने से अधिक प्यास लगती है, तो पानी भी अधिक पीना पड़ता है, जिससे हमारी त्वचा अधिक सक्रिय हो जाती है व अधिक पसीना बाहर फेंकती है (पसीना नमकीन होता है)। जिससे शरीर को अकारण अधिक श्रम करना पड़ता है और शरीर की कार्यप्रणाली की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में तमाम बीमारियां घेर लेती हैं। जैसे-
1. जुकाम- अधिक नमक, अधिक प्यास, नतीजा जुकाम।
2. रक्तचाप- अधिक वाह्य नमक का उपयोग न करें।
3. गंजापन - अधिक नमक का सेवन करने से बाल झड़ते हैं, गंजापन हो सकता है।
4. अनिद्रा - अधिक नमक अनिद्रा रोग को बढ़ावा देता है, कम नमक से अच्छी नींद आती है।
5. वात रोग - अधिक नमक से इसे बढ़ावा मिलता है। कम नमक का सेवन करें।
6. गर्भावस्था में कम नमक का सेवन करें, इससे कई परेशानियों से दूर रहेंगी।
7. मोटापा - अधिक नमक के सेवन से मोटापा बढ़ता है। कारण अधिक नमक अधिक प्यास यानि ज्यादा पानी शरीर में। जहां तक हो सके, कम नमक लें।
जैसे सफेद चीनी नुकसानदायक होती है, उसी तरह सफेद नमक भी। अधिक नमक शरीर के लिए घातक है।
प्रत्येक आहार को पचाने के लिए एक विशेष पाचन रस की आवश्यकता होती है। अधिक नमक खाने से वे पाचन रस उत्पन्न नहीं होते व पाचन क्रिया में तमाम परेशानियां होती हैं।
अतिरिक्त नमक लेना कैसे कम करें
सालों-साल से नमक खा रहा इंसान एकदम से नमक नहीं छोड़ सकता। परंतु धीरे-धीरे कर के मात्रा कम कर सकता है। जैसे- दही में नमक डालना बंद कर दे। प्राकृतिक नमक यानि हरी सब्जियों में खुद नमक होता है। उससे काम चला लें। सलाद, फल के साथ नमक खाना कम kare