आज मनुष्य मे स्वार्थ व पक्षपात बढ़ता जा रहा है। मानव मे मानवता खत्म होती जा रही है। आज सामान्य मनुष्य की चिकित्सा की तो बात दूर भोजन पर भी दुष्टों की नजर है। फिल्मों मे अपने को गरीब का प्यारा दिखाने वाले अमिताभ बच्चन हो या माधुरी दीक्षित पैसे के लिए TV पर मैगी नाम का जहर बेच रहे हैं। यदि किसी गरीब को रोग हो जाए तो ठीक होने के लिए बेचारे को घर बेचना पड़ता है। सरकारी अस्पताल मे रोग का पता केवल पोस्ट मार्टम से ही चलता है।
परंतु वेदवाणी के अनुसार आचरण करने वाले परम दयालु महर्षियों ने आयुर्वेद रूपी अमृत को बिना किसी भेदभाव के बांटा। ऋषियों का यह अमृत उन के लिए भी है जो उन्हे आदर्श मानते हैं। उनके लिए भी है जो अपने को मूल निवासी कहकर ऋषियों को गाली देने मे ही गौरव अनुभव करते हैं और खुद को रावण का वंशज बताते हैं। यह अमृत पाना इतना आसान है कि गरीब से गरीब भी इसका प्रयोग कर सकता है। इतना प्रभावशाली है कि बड़े बड़े महंगे इलाज भी इससे बढ़ कर नहीं है।
आयुर्वेद के ऋषियों ने लिखा है -
जिसके घर मे माता नहीं है उसकी माता हरीतकी है,
कभी माता भी कुपित (गुस्सा) हो जाती है परंतु पेट मे गई हुई हरड़ कुपित नहीं होती।
आयुर्वेद के सबसे पुराने व प्रतिष्ठित ग्रंथ चरक संहिता मे महर्षि पुनर्वसु आत्रेय जो औषधि लिखी है उसमे सबसे पहली औषधि हरितकी लिखी है।
आचार्य भावमिश्र जी अपने भावप्रकाश का आरंभ हरीतकी से करते है।
ये सभी प्रयोग बार बार आजमाए गए हैं कभी असफल नहीं होते। संस्कृत मे हरीतकी, अभया, पथ्या, हिन्दी मे हरड़, हर्र, बांग्ला, मराठी, गुजराती, पंजाबी और तेलुगू मे भी हरीतकी या हरड़। English = Myrobalans
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दवाई के लिए प्रायः बड़ी हरड़ का प्रयोग होता है। बाजार मे बड़ी हरड़ के टुकड़े मिलते हैं वह न ले। साबुत हरड़ ले जिसमे घुन न लगा हो। उसे तोड़ कर बीज निकाल दे। फिर इसे बारीक पीस ले। जो स्वयम नहीं पीस सकते वह बाजार से हरीतकी चूर्ण बना बनाया ले।
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किसे हरड़ नहीं लेनी चाहिए –
1 *मुंह बार सुख रहा हो और प्यास लग रही हो।
2* नाक मुंह या किसी अन्य अंग से खून बहता हो।
3* वर्षो से किसी ऐसे रोग का शिकार हो जिसमे खून की बहुत अधिक कमी हो गई हो।
4-* जो प्रतिदिन व्यायाम करते हैं या प्रतिदिन लंबा पैदल चलते है।
5* जिसे कभी लकवा, खून की अधिक कमी ( जैसे थेलिसिमिया , परनीसियास एनीमिया, एडिसन्स डीजीज) जैसा रोग हो
6* जिसे Asthma /श्वास, दमा के रोग हो
7* जो प्रतिदिन लम्बे समय तक धूप मे घूमते हों।
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सबसे चमत्कारी जन्मघुट्टी
छोटे बच्चो के लिए इसके समान घुट्टी नहीं है । चित्र मे दिखाए अनुसार साबुत बड़ी हरड़ ले उनमे से वह हरड़ चुने जो पानी मे डालने पर पानी मे डूब जाए तैरे नहीं।
इसे पत्थर पर चन्दन की तरह घिस कर दे।
1- बच्चे का पेट फुला हुआ हो रात को रोता हो - घिसी हुई हरड़ मे गुड मिलाकर दे।
2- मुंह मे छले के कारण यदि बच्चा दूध ना पी पा रहा हो- घिसी हुई हरड़ मे मिश्री मिलाकर दे।
3- बच्चे को भूख ना लगे- घिसी हुई हरड़ मे सैंधा नमक मिलाकर दे।
4- दस्त मे-जायफल, हरड़ व काली अतीस दोनों घिस कर मिलाकर दे।
5 जुखाम होने पर - सोंठ भी साथ मे घिस कर मिलाकर दे।
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पेट की गैस के लिए – बड़ी हरड़ की का चूर्ण मे समान गुड मिला ले । फिर इसकी मटर के दाने के बराबर गोली बना ले। यदि गोली बनाने मे दिक्कत हो तो थोड़ा सा पानी मिला कर गोली बना ले और धूप मे सूखा ले। यदि धूप मे न सुखाए तो गोलियों मे फफूंदी लग जाती है । या चूर्ण की तरह रख ले। इसे लगभग 1 ग्राम की मात्रा मे भोजन के बीच मे या भोजन के बाद पानी/ लस्सी से ले। पेट मे किसी भी कारण से गैस बनती हो लाभ जरूर होता है। पेट की गैस मे ये कभी भी असफल नहीं होती। बाजार मे उपलब्ध कोई भी गैस का चूर्ण या गोली इसके समान प्रभावशाली नहीं है। साथ ही यह सुबह खाली पेट पानी से लेने पर भूख को बढ़ाती है, बवासीर मे लाभ दिखाती है
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अम्लपित्त के लिए – 100 ग्राम मुनक्का (बड़ी किशमिश/ दाख जिसमे बीज होता है) ले। इन्हे गरम पानी से धो ले। फिर बीज निकाल ले। उसके बाद इन्हे कूट ले और इसमे 50 ग्राम हरड़ का चूर्ण मिला ले। इसके बाद मटर के दाने के आकार की गोलीय बना ले। यदि गोली बनाने मे कुछ परेशानी हो तो कुछ बूंद शहद मिला ले। 1-2 गोली भोजन से पहले पानी से लेने से अम्लपित्त और पेट के अल्सर मे बहुत लाभ होता है।
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चक्कर आने पर – पीपल (जिसे गरम मसाले मे मिलाते है), सौंठ (सुखी अदरक), सौंफ और हरड़ 25-25 ग्राम। गुड 150 ग्राम सबको मिला कर मटर के दाने के आकार की गोली बनाए। 1-2 गोली दिन मे 3 बार ले। चक्कर आना, सिर घूमना बंद हो जाएगा।
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बवासीर (Piles ) के लिए
- यह प्रयोग सभी तरह की बवासीर के लिए बहुत ही लाभदायक है।