लगातार घंटों एक ही जगह पर बैठकर काम करना, कुर्सी पर बैठने का गलत तरीका, सोते वक्त सही स्थिति न होना, व्यायाम न करना आदि कई बातें हैं जो आपके बैकपेन के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।
1) पीठ में दर्द होना :-
पीठ में दर्द होना एक सामान्य समस्या है, इससे सभी लोग ग्रस्त रहते हैं। लेकिन शायद आप ये नहीं जानते कि अगर इसे नजरअंदाज किया जाए तो ये बड़ी मुसीबत भी बन सकता है। लगातार घंटों एक ही जगह पर बैठकर काम करना, कुर्सी पर बैठने का गलत तरीका, सोते वक्त सही स्थिति न होना, व्यायाम न करना आदि कई बातें हैं जो आपके बैकपेन के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। क्योंकि इनसे हमारी नाडियां प्रभावित होती हैं। आगे के स्लाइड में इन आदतों के बारे में विस्तार से जानें।
पीठ में दर्द होना एक सामान्य समस्या है, इससे सभी लोग ग्रस्त रहते हैं। लेकिन शायद आप ये नहीं जानते कि अगर इसे नजरअंदाज किया जाए तो ये बड़ी मुसीबत भी बन सकता है। लगातार घंटों एक ही जगह पर बैठकर काम करना, कुर्सी पर बैठने का गलत तरीका, सोते वक्त सही स्थिति न होना, व्यायाम न करना आदि कई बातें हैं जो आपके बैकपेन के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। क्योंकि इनसे हमारी नाडियां प्रभावित होती हैं। आगे के स्लाइड में इन आदतों के बारे में विस्तार से जानें।
2) लगातार सीट पर बैठे रहना :-
यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि खड़े होने की तुलना में लगातार बैठे रहने से रीढ़ की हड्डी पर अधिक भार पड़ता है। डॉक्टरों की माने तो यह तरीका तुलनात्मक रूप से 40 फीसदी तक अधिक दबाव डालता है। इस कारण लंबे समय की सीट पर बैठे रहने लोगों को सलाह दी जाती है कि वे ब्रेक लेकर बीच बीच में हल्के व्यायाम कर लें ताकि उन्हें इस समस्या का से निजात मिल सके।
यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि खड़े होने की तुलना में लगातार बैठे रहने से रीढ़ की हड्डी पर अधिक भार पड़ता है। डॉक्टरों की माने तो यह तरीका तुलनात्मक रूप से 40 फीसदी तक अधिक दबाव डालता है। इस कारण लंबे समय की सीट पर बैठे रहने लोगों को सलाह दी जाती है कि वे ब्रेक लेकर बीच बीच में हल्के व्यायाम कर लें ताकि उन्हें इस समस्या का से निजात मिल सके।
3) लगातार एक ही काम करना :-
डॉक्टरों का मानना है कि बार-बार एक ही प्रक्रिया को दोहराने से भी पीठ दर्द की समस्या हो सकती है। जैसे, फैक्ट्री में बॉक्स बनाने वाले कर्मचारी जो पूरे दिन एक ही गतिविधि को कई बार दोहराते हैं। कई घंटे तक एक ही जगह बैठकर काम करने से पीठ की मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। उन मांसपेशियों में लंबे समय तक कोई गतिविधि नहीं होती है इससे उनके लचीलेपन पर विपरीत असर पड़ने लगता है।
डॉक्टरों का मानना है कि बार-बार एक ही प्रक्रिया को दोहराने से भी पीठ दर्द की समस्या हो सकती है। जैसे, फैक्ट्री में बॉक्स बनाने वाले कर्मचारी जो पूरे दिन एक ही गतिविधि को कई बार दोहराते हैं। कई घंटे तक एक ही जगह बैठकर काम करने से पीठ की मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। उन मांसपेशियों में लंबे समय तक कोई गतिविधि नहीं होती है इससे उनके लचीलेपन पर विपरीत असर पड़ने लगता है।
4) गलत कुर्सी का चयन :-
लोग अक्सर आगे की ओर झुक कर बैठते हैं। इस मुद्रा से पैरों के पिछले निचले हिस्से में मांसपेशियों में तनाव पैदा होता है। यह जरूरी है कि ऑफिस चेयर सही हो और आपकी पीठ की प्राकृतिक मोड़ों को सहारा देती हो। बैठने की बजाय 20 मिनट तक इधर-उधर घूमें क्योंकि लगातार बैठने से आपकी रीढ़ की हड्डी में तनाव पैदा हो सकता है।
लोग अक्सर आगे की ओर झुक कर बैठते हैं। इस मुद्रा से पैरों के पिछले निचले हिस्से में मांसपेशियों में तनाव पैदा होता है। यह जरूरी है कि ऑफिस चेयर सही हो और आपकी पीठ की प्राकृतिक मोड़ों को सहारा देती हो। बैठने की बजाय 20 मिनट तक इधर-उधर घूमें क्योंकि लगातार बैठने से आपकी रीढ़ की हड्डी में तनाव पैदा हो सकता है।
5) .अधिक देर तक टीवी देखना :-
रोजाना कई घंटों तक टीवी से सामने बैठे रहने की आदत भी बैकपेन की वजह हो सकती है। वहीं इसका एक अन्य कारण यह भी है कि यह लत रेग्युलर वर्कआउट को मिस भी करवा सकती है। डॉक्टरों का मानना है जो लोग टेलीविजन या कंप्यूटर के सामने एक हफ्ते में 15 से अधिक घंटे बिताते हैं, वे लोअर बैक पेन से अधिक पीड़ित होते हैं।
रोजाना कई घंटों तक टीवी से सामने बैठे रहने की आदत भी बैकपेन की वजह हो सकती है। वहीं इसका एक अन्य कारण यह भी है कि यह लत रेग्युलर वर्कआउट को मिस भी करवा सकती है। डॉक्टरों का मानना है जो लोग टेलीविजन या कंप्यूटर के सामने एक हफ्ते में 15 से अधिक घंटे बिताते हैं, वे लोअर बैक पेन से अधिक पीड़ित होते हैं।
6) तनाव
मन में किसी प्रकार की नाराजगी, गुस्सा या अफसोस है, तो उसे दिमाग से बाहर निकालने से भी बैक पेन की समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है।जिन लोगों की माफ करने, कम गुस्सा करने व दूसरों के प्रति मन में बुरे भाव नहीं होते हैं, वे बैक पेन से अपेक्षाकृत कम पीड़ित होते हैं।डॉक्टरों का कहना है कि व्यक्ति के भावनात्मक स्तर व विचारों का मांसपेशियों में होने वाले खिंचाव से सीधा लिंक होता है।
मन में किसी प्रकार की नाराजगी, गुस्सा या अफसोस है, तो उसे दिमाग से बाहर निकालने से भी बैक पेन की समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है।जिन लोगों की माफ करने, कम गुस्सा करने व दूसरों के प्रति मन में बुरे भाव नहीं होते हैं, वे बैक पेन से अपेक्षाकृत कम पीड़ित होते हैं।डॉक्टरों का कहना है कि व्यक्ति के भावनात्मक स्तर व विचारों का मांसपेशियों में होने वाले खिंचाव से सीधा लिंक होता है।
7) हाई हील के शूज
ऊंची एड़ी की चप्पल पहनने से स्पाइनल मसल्स यानी पीठ की मांसपेशियां ठीक प्रकार से काम नहीं कर पाती हैं। इसी कारण से बैक पेन की शिकायत होती है। लचकदार तथा आरामदायक जूते बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे आपके पैरों की सुरक्षा तो करते ही हैं साथ ही शरीर तथा रीढ़ की हड्डी को एक सीध में रखते हैं और मांसपेशियों में मोच यानी खिंचाव को रोकते हैं।
ऊंची एड़ी की चप्पल पहनने से स्पाइनल मसल्स यानी पीठ की मांसपेशियां ठीक प्रकार से काम नहीं कर पाती हैं। इसी कारण से बैक पेन की शिकायत होती है। लचकदार तथा आरामदायक जूते बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे आपके पैरों की सुरक्षा तो करते ही हैं साथ ही शरीर तथा रीढ़ की हड्डी को एक सीध में रखते हैं और मांसपेशियों में मोच यानी खिंचाव को रोकते हैं।
8) सोने का गलत तरीका :-
गलत तरीके से सोना या तकिया गलत तरह से लेना भी आपके लिए बैक पेन की वजह हो सकता है। कई बार गद्दा ठीक न हो पाने की वजह से भी पीठ दर्द होता है। ऐसी स्थिति में आराम के लिए ठोस बेस वाले बिस्तर पर सोएं और हो सके तो कुछ समय के लिए ऊंचे तकिये से परहेज करें।चूंकि हमारी रीढ़ की हड्डी कर्वी होती है इसलिए हमें फर्श पर सोने या अत्यधिक नर्म गद्दे पर सोने जैसे विकल्प नहीं चुनने चाहिए।
9) बड़े और भारी बैग :-
बड़े बैग्स दिखने में कितने भी ट्रेंडी लगें लेकिन इनका रोजाना इस्तेमाल भी पीठ और कंधों के दर्द की वजह हो सकता है। इसी तरह अगर आप अपने लैपटॉप बैग में भी अगर दुनिया भर की चीजें डालकर चलते हैं तो यह भी आपके लिए पीठ दर्द की बड़ी वजह हो सकता है।मालूम हो, आपके बैग आपके शरीर के वजन के 10 प्रतिशत से अधिक वजन वाले नहीं होने चाहिए। बैग की दोनों स्ट्रैप्स का इस्तेमाल करें
बड़े बैग्स दिखने में कितने भी ट्रेंडी लगें लेकिन इनका रोजाना इस्तेमाल भी पीठ और कंधों के दर्द की वजह हो सकता है। इसी तरह अगर आप अपने लैपटॉप बैग में भी अगर दुनिया भर की चीजें डालकर चलते हैं तो यह भी आपके लिए पीठ दर्द की बड़ी वजह हो सकता है।मालूम हो, आपके बैग आपके शरीर के वजन के 10 प्रतिशत से अधिक वजन वाले नहीं होने चाहिए। बैग की दोनों स्ट्रैप्स का इस्तेमाल करें
10) ड्राइविंग के दौरान
जब आप ड्राइव कर रही हों तो इस बात का ध्यान रखें कि आप पीठ को नुकसान ना पहुंचा रहे हो। अधिकतर समस्याएं इसलिए पैदा होती हैं क्योंकि आप कार की सीट के साथ सही तरीके से एडजस्ट नहीं करतें या अपना सिर आगे की ओर अधिक रखते हैं। आपकी कार की सीट काफी आरामदायक होनी चाहिए।
जब आप ड्राइव कर रही हों तो इस बात का ध्यान रखें कि आप पीठ को नुकसान ना पहुंचा रहे हो। अधिकतर समस्याएं इसलिए पैदा होती हैं क्योंकि आप कार की सीट के साथ सही तरीके से एडजस्ट नहीं करतें या अपना सिर आगे की ओर अधिक रखते हैं। आपकी कार की सीट काफी आरामदायक होनी चाहिए।
11) सूरज की रोशनी से करें प्यार :-
जो लोग सूरज की रोशनी में कम जाते हैं उनमें पीठ संबंधी समस्याएं अधिक होती हैं। गंभीर दर्द का संबंध सूर्य की रोशनी में मौजूद विटामिनों से है।पीठ दर्द को कम करने के लिए विटामिन डी की मात्रा का अधिक सेवन करना वास्तव में बहुत सहायक होता है। जो लोग पीठ की समस्या की शिकायत करते हैं उनके लिए विटामिन डी स्क्रीनिंग एक बहुत अच्छा विचार है।
जो लोग सूरज की रोशनी में कम जाते हैं उनमें पीठ संबंधी समस्याएं अधिक होती हैं। गंभीर दर्द का संबंध सूर्य की रोशनी में मौजूद विटामिनों से है।पीठ दर्द को कम करने के लिए विटामिन डी की मात्रा का अधिक सेवन करना वास्तव में बहुत सहायक होता है। जो लोग पीठ की समस्या की शिकायत करते हैं उनके लिए विटामिन डी स्क्रीनिंग एक बहुत अच्छा विचार है।
12) योग करें :-
मांसपेशियों में खिंचाव, रक्त वाहिकाओं में रक्त संचार कम करने और स्ट्रेस कम करने के लिए योग बहुत कारगर उपाय है। किसी अच्छे योग गुरु से संपर्क करें, क्योंकि वही आपको बता सकता है कि आपकी समस्या के मुताबिक कौन-सा आसन उपयुक्त है। साथ ही अभ्यास किए जा रहे संबंधित आसनों में त्रुटि होने की संभावना भी कम हो जाती है।
मांसपेशियों में खिंचाव, रक्त वाहिकाओं में रक्त संचार कम करने और स्ट्रेस कम करने के लिए योग बहुत कारगर उपाय है। किसी अच्छे योग गुरु से संपर्क करें, क्योंकि वही आपको बता सकता है कि आपकी समस्या के मुताबिक कौन-सा आसन उपयुक्त है। साथ ही अभ्यास किए जा रहे संबंधित आसनों में त्रुटि होने की संभावना भी कम हो जाती है।