● मुंहासों से छुटकारा पाना चाहते हैं और तमाम एंटी एक्ने उत्पादों को
लगाने से भी फायदा नहीं मिल पा रहा है तो कुछ ऐसे योगासन हैं जिनका नियमित
अभ्यास मुंहासों से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा।
● मुंहासों के पीछे न केवल ऑयली त्वचा जिम्मेदार है बल्कि इसके कई कारण हैं। शरीर में टॉक्सिन, हार्मोनल असंतुलन आदि भी मुंहासों की बड़ी वजहे हैं।
● मुंहासों के पीछे न केवल ऑयली त्वचा जिम्मेदार है बल्कि इसके कई कारण हैं। शरीर में टॉक्सिन, हार्मोनल असंतुलन आदि भी मुंहासों की बड़ी वजहे हैं।
● इन आसनों के अभ्यास से चेहरे तक रक्त संचार अच्छी तरह होगा। इनसे त्वचा
की डेड स्किन दूर होगी, टॉक्सिन हटेंगे, तनावमुक्त होंगें और हार्मोनल
संतुलन बना रहेगा जिससे मुंहासे दूर होंगे।
》 कपालभाति
● कपालभाति ऐसा प्राणायाम है जिसके नियमित अभ्यास से शरीर को बहुतेरे फायदे मिलते हैं। इससे शरीर में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का प्रवाह होता है।
● इससे पाचन ठीक रहता है और टॉक्सिन्स निकल जाते हैं जिससे त्वचा पर मुंहासों नहीं होते हैं। रोजाना 10 से 15 मिनट तक कपालभाति का अभ्यास इस मामले में फायदेमंद है।
●इसे करने के लिए पहले पद्मासन में बैठ जाएं। गहरी सांस खींचते हुए कई बार लगातार सांस छोड़ें।
》 अनुलोम विलोम प्राणायाम
● अनुलोम –विलोम प्रणायाम में सांस लेने व छोड़ने की विधि को बार-बार दोहराया जाता है। इस प्राणायाम को 'नाड़ी शोधक प्राणायाम' भी कहते hai
● अनुलोम-विलोम को रोज करने से शरीर की सभी नाड़ियों स्वस्थ व निरोग रहती है। इस प्राणायाम को हर उम्र के लोग कर सकते हैं। वृद्धावस्था में अनुलोम-विलोम प्राणायाम योगा करने से गठिया, जोड़ों का दर्द व सूजन आदि शिकायतें दूर होती हैं।
》 विधि
● दरी व कंबल स्वच्छ जगह पर बिछाकर उस पर अपनी सुविधानुसार पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं।
● फिर अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से सांस अंदर की ओर भरे और फिर बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें। उसके बाद दाहिनी नासिका से अंगूठे को हटा दें और सांस को बाहर निकालें।
● अब दायीं नासिका से ही सांस अंदर की ओर भरे और दायीं नाक को बंद करके बायीं नासिका खोलकर सांस को 8 की गिनती में बाहर निकालें।
● इस क्रिया को पहले 3 मिनट तक और फिर धीरे-धीरे इसका अभ्यास बढ़ाते हुए 10 मिनट तक करें। 10 मिनट से अधिक समय तक इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
●इस प्रणायाम को सुबह-सुबह खुली हवा में बैठकर करें।
》 लाभ
● इससे शरीर में वात, कफ, पित्त आदि के विकार दूर होते हैं।
● रोजाना अनुलोम-विलोम करने से फेफड़े शक्तिशाली बनतेहैं।
● इससे नाडियां शुद्ध होती हैं जिससे शरीर स्वस्थ, कांतिमय एवं शक्तिशाली बनता है।
● इस प्रणायाम को रोज करने से शरीर में कॉलेस्ट्रोल का स्तर कम होता है।
● अनुलोम-विलोम करने से सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों में काफी आराम मिलता है।
● अनुलोम-विलोम से हृदय को शक्ति मिलती है।
● इस प्राणायाम के दौरान जब हम गहरी सांस लेते हैं तो शुद्ध वायु हमारे खून के दूषित तत्वों को बाहर निकाल देती है। शुद्ध रक्त शरीर के सभी अंगों में जाकर उन्हें पोषण प्रदान करता है।
● अनुलोम-विलोम प्राणायाम सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं और सुविधानुसार इसकी अवधि तय की जा सकती है।
》 कपालभाति
● कपालभाति ऐसा प्राणायाम है जिसके नियमित अभ्यास से शरीर को बहुतेरे फायदे मिलते हैं। इससे शरीर में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का प्रवाह होता है।
● इससे पाचन ठीक रहता है और टॉक्सिन्स निकल जाते हैं जिससे त्वचा पर मुंहासों नहीं होते हैं। रोजाना 10 से 15 मिनट तक कपालभाति का अभ्यास इस मामले में फायदेमंद है।
●इसे करने के लिए पहले पद्मासन में बैठ जाएं। गहरी सांस खींचते हुए कई बार लगातार सांस छोड़ें।
》 अनुलोम विलोम प्राणायाम
● अनुलोम –विलोम प्रणायाम में सांस लेने व छोड़ने की विधि को बार-बार दोहराया जाता है। इस प्राणायाम को 'नाड़ी शोधक प्राणायाम' भी कहते hai
● अनुलोम-विलोम को रोज करने से शरीर की सभी नाड़ियों स्वस्थ व निरोग रहती है। इस प्राणायाम को हर उम्र के लोग कर सकते हैं। वृद्धावस्था में अनुलोम-विलोम प्राणायाम योगा करने से गठिया, जोड़ों का दर्द व सूजन आदि शिकायतें दूर होती हैं।
》 विधि
● दरी व कंबल स्वच्छ जगह पर बिछाकर उस पर अपनी सुविधानुसार पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं।
● फिर अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से सांस अंदर की ओर भरे और फिर बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें। उसके बाद दाहिनी नासिका से अंगूठे को हटा दें और सांस को बाहर निकालें।
● अब दायीं नासिका से ही सांस अंदर की ओर भरे और दायीं नाक को बंद करके बायीं नासिका खोलकर सांस को 8 की गिनती में बाहर निकालें।
● इस क्रिया को पहले 3 मिनट तक और फिर धीरे-धीरे इसका अभ्यास बढ़ाते हुए 10 मिनट तक करें। 10 मिनट से अधिक समय तक इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
●इस प्रणायाम को सुबह-सुबह खुली हवा में बैठकर करें।
》 लाभ
● इससे शरीर में वात, कफ, पित्त आदि के विकार दूर होते हैं।
● रोजाना अनुलोम-विलोम करने से फेफड़े शक्तिशाली बनतेहैं।
● इससे नाडियां शुद्ध होती हैं जिससे शरीर स्वस्थ, कांतिमय एवं शक्तिशाली बनता है।
● इस प्रणायाम को रोज करने से शरीर में कॉलेस्ट्रोल का स्तर कम होता है।
● अनुलोम-विलोम करने से सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों में काफी आराम मिलता है।
● अनुलोम-विलोम से हृदय को शक्ति मिलती है।
● इस प्राणायाम के दौरान जब हम गहरी सांस लेते हैं तो शुद्ध वायु हमारे खून के दूषित तत्वों को बाहर निकाल देती है। शुद्ध रक्त शरीर के सभी अंगों में जाकर उन्हें पोषण प्रदान करता है।
● अनुलोम-विलोम प्राणायाम सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं और सुविधानुसार इसकी अवधि तय की जा सकती है।