राजस्थान में स्वाइन फ्लू से लगातार हो रही मौतों के साथ साथ राज्य के माननीय गृहमंत्री और माननीय पूर्व मुख्यमत्री के स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने के कारण अचानक राज्य का माहौल संगीन हो गया है। विशेष रूप से स्कूल जाते बच्चों को इस संक्रमण से मुक्त रखना बड़ी चुनौती हो गया है।
9-10 साल पहले जब चिकुनगुनिया महामारी के तौर पर फैला था तब आयुर्वेद विभाग के सभी चिकित्सकों ने अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी रूप से चिकित्सा की थी। बहुत से रोगी ठीक होने के बाद सिर्फ थैंक्स कहने और काॅम्लीमेंट्स देने के लिए आते थे।
स्वाइन फ्लू के लिए भी आयुर्वेद मेडीसिन्स अपेक्षाकृत ज्यादा प्रभावी हैं।
कुछ विशेष सावधानियाँ रखकर इस संक्रमण से बचा जा सकता है और संक्रमण हो जाने पर आयुर्वेद की आसानी से उपलब्ध दवाओं से इससे प्रभावी तरीके से निपटा भी जा सकता है।
कुछ विशेष सावधानियाँ रखकर इस संक्रमण से बचा जा सकता है और संक्रमण हो जाने पर आयुर्वेद की आसानी से उपलब्ध दवाओं से इससे प्रभावी तरीके से निपटा भी जा सकता है।
तुलसी, हल्दी और गिलोय तीनों ना सिर्फ प्रभावी एण्टी बेक्टिीरियल, एण्टी वायरल, एण्टी बायोटिक हैं बल्कि इनके प्रयोग से बाॅडी का इम्यून सिस्टम स्ट्रोंग होता है। इन तीनों के प्रयोग से किसी भी तरह के संक्रमण से ना सिर्फ बचा जा सकता है बल्कि संक्रमण होने पर उसका इलाज भी किया जा सकता है।
इस रोग में विशेष रूप से श्वासप्रणाली और फेंफड़े प्रभावित होते हैं। इसलिए प्राणायाम विशेष रूप से लाभकारी रहेगा। ये कोई सैद्धान्तिक बात नहीं है बल्कि बेहद प्रभावी उपाय है।
अनुलोम विलोम - 10 से 15 मिनिट
कपाल भाती - 10 से 15 मिनिट
भ्रस्रिका - 5 मिनिट
अनुलोम विलोम - 10 से 15 मिनिट
कपाल भाती - 10 से 15 मिनिट
भ्रस्रिका - 5 मिनिट
2009 में सिर्फ H1N1v का संक्रमण था तब टेमीफ्लू नाम की मेडीसिन से इसका इलाज किया जा रहा था। लेकिन इस साल trH1N2 और trH3N2 का संक्रमण भी है जो कि टेमीफ्लू रेजीस्टेंट है। याने इस संक्रमण पर टेमीफ्लू नाम की दवा निष्प्रभावी सिद्ध हो रही है।
लेकिन आयुर्वेद दवाइयों का प्रभाव व्यापक है और ज्यादा करगर है सभी तरह के संक्रमण पर।
लेकिन आयुर्वेद दवाइयों का प्रभाव व्यापक है और ज्यादा करगर है सभी तरह के संक्रमण पर।
संक्रमण से बचने के लिए -
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तुलसी के पत्ते - 5
लौंग - 4
कालीमिर्च - 4
दालचीनी - 1 ग्राम
अद्रक - 1 इंच
हल्दी - 1 ग्राम
कण्टकारी - 5 ग्राम
ताजा गिलोय की लकड़ी - 1 फीट ताजा उपलब्ध ना हो तो सूखी गिलोय का चूर्ण 5 ग्राम
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तुलसी के पत्ते - 5
लौंग - 4
कालीमिर्च - 4
दालचीनी - 1 ग्राम
अद्रक - 1 इंच
हल्दी - 1 ग्राम
कण्टकारी - 5 ग्राम
ताजा गिलोय की लकड़ी - 1 फीट ताजा उपलब्ध ना हो तो सूखी गिलोय का चूर्ण 5 ग्राम
इन सबको कूटकर 100 ग्राम पानी में मन्द आँच में उबालकर आधा पानी बचने पर सुबह खाली पेट पीलें। ऐसा 7 दिन के लिए करने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी जिससे सिर्फ स्वाइन फ्लू ही नहीं बल्कि दूसरे मौसमी संक्रमण भी नहीं हो पाएंगे।
परिवार में जितने सदस्य हैं सभी को यह पिलाएं। मात्रा प्रति व्यक्ति के हिसाब से बढ़ा कर एकसाथ ही प्रिपरेशन करलें।
परिवार में जितने सदस्य हैं सभी को यह पिलाएं। मात्रा प्रति व्यक्ति के हिसाब से बढ़ा कर एकसाथ ही प्रिपरेशन करलें।
बच्चों को स्कूल भेजते बक्त उनकी रुमाल में 1-2 बूँद अमृतधारा/कर्पूरधारा लगाकर दें और उनको हर 2.3 धण्टे में उसे सूंघने के लिए कहें।
संक्रमण हो जाने पर -
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यदि जुकाम या बुखार के सामान्य लक्षण महसूस हो रहे हैं तो ऊपर बताए काढ़े के साथ
संजीवनी बटी - 1 गोली
लक्ष्मी विलास - 1 गोली
सुदर्शन घन वटी - 1 गोली
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यदि जुकाम या बुखार के सामान्य लक्षण महसूस हो रहे हैं तो ऊपर बताए काढ़े के साथ
संजीवनी बटी - 1 गोली
लक्ष्मी विलास - 1 गोली
सुदर्शन घन वटी - 1 गोली
ये तीनों गालियाँ दिन में 3 बार लें ।
साथ में सितोपलादि चूर्ण - 3 ग्राम शहद के साथ मिलाकर दिन में 3 बार लें
साथ में सितोपलादि चूर्ण - 3 ग्राम शहद के साथ मिलाकर दिन में 3 बार लें
यदि संक्रमण ज्यादा है तो -
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स्वर्ण वसन्त मालती - 2 ग्राम
अभ्रक भस्म - 5 ग्राम
प्रवाल पिष्टी - 5 ग्राम
गिलोय सत्त्व - 10 ग्राम
श्वासकुठार रस - 10 ग्राम
सितोपलादि चूर्ण - 20 ग्राम
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स्वर्ण वसन्त मालती - 2 ग्राम
अभ्रक भस्म - 5 ग्राम
प्रवाल पिष्टी - 5 ग्राम
गिलोय सत्त्व - 10 ग्राम
श्वासकुठार रस - 10 ग्राम
सितोपलादि चूर्ण - 20 ग्राम
सब मिलाकर 2-2 ग्राम दिन में 3 या 4 बार शहद के साथ लें।
(चिकित्सा आयुर्वेद विशेषज्ञ की देखरेख में हो)
(चिकित्सा आयुर्वेद विशेषज्ञ की देखरेख में हो)