इसमें शरीर के अंग निष्क्रिय और चेतना शून्य हो जाते हैं। शरीर का हिलना-डुलना मुश्किल हो जाता है।
शरीर के जिस अंग पर फालिज गिरी हो, उस पर खजूर का गूदा मलने से फालिज दूर होती है।
हरताल वर्की 20 ग्राम, जायफल 40 ग्राम, पीपली 40 ग्राम, सबको कूट-पीसकर कपड़छन कर लें। आधा-आधा ग्राम सुबह-शाम शहद में मिलाकर लें। ऊपर से गर्म दूध पिएं। बादी की चीजों का परहेज रखें।
वीर बहूटी के पांव तथा सिर निकालकर जो अंग बचें उसे पान में रखकर कुछ दिन तक लगातार सेवन करने से फालिज रोग दूर होता है।
काली मिर्च 60 ग्राम लेकर पीस लें। फिर इसे 250 ग्राम तेल मे मिलाकर कुछ देर पकायें। इस तेल का पतला-पतला लेप करने से फालिज दूर होता है। इसे उसी समय ताजा बनाकर गुनगुना लगाया जाता है।
शरीर के जिस अंग पर फालिज गिरी हो, उस पर खजूर का गूदा मलने से फालिज दूर होती है।
हरताल वर्की 20 ग्राम, जायफल 40 ग्राम, पीपली 40 ग्राम, सबको कूट-पीसकर कपड़छन कर लें। आधा-आधा ग्राम सुबह-शाम शहद में मिलाकर लें। ऊपर से गर्म दूध पिएं। बादी की चीजों का परहेज रखें।
वीर बहूटी के पांव तथा सिर निकालकर जो अंग बचें उसे पान में रखकर कुछ दिन तक लगातार सेवन करने से फालिज रोग दूर होता है।
काली मिर्च 60 ग्राम लेकर पीस लें। फिर इसे 250 ग्राम तेल मे मिलाकर कुछ देर पकायें। इस तेल का पतला-पतला लेप करने से फालिज दूर होता है। इसे उसी समय ताजा बनाकर गुनगुना लगाया जाता है।