* भवन
में गैराज का उपयुक्त स्थान दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में होता
है। इन्हीं दिशाओं में गैराज का निर्माण होना चाहिए। गैराज में उत्तर और
पूर्व की दीवारों पर वजन कम होना चाहिए।
* पकाया हुआ भोजन रसोई घर में वायव्य कोण में रखना चाहिए और इस स्थान से पूर्व दिशा की ओर भोजन को परोसे जाने का प्रबंध होना चाहिए।
* आपका भवन पूर्वोन्मुखी हो तो गैराज का निर्माण दक्षिण-पूर्व दिशा में पूर्व की ओर ठीक रहेगा। भवन उत्तरोन्मुखी हो तो दक्षिण-पश्चिम दिशा में पश्चिम की तरफ गैराज का निर्माण होना चाहिए। भवन दक्षिणोन्मुखी हो तो दक्षिण-पश्चिम दिशा में पश्चिम की ओर गैराज होना चाहिए।
* उपचार के रूप में दायें हाथ में पीली धातु का कड़ा, कंगन पहनें। इससे मित्रों की संख्या बढ़ेगी। महिलाऐं सोने की चूडिय़ां पहनें। इन उपायों से धातु तत्व की कमी में सुधार आता है।
* घर का मुख्य द्वार सीढिय़ों के ऊपर समान तल पर होता है जो वास्तु की दृष्टि में अशुभ होता है। ऐसे में घर की धन-दौलत नीचे की ओर जाती हुई सीढिय़ों के माध्यम से चली जाती है और गृहस्वामी को उसके परिश्रम का फल नहीं मिलता है। इस दोष को दूर करने के लिए दरवाजे के ऊपर अष्टकोणीय दर्पण लगाना चाहिए।
* घर में स्नानघर नैर्ऋत्य कोण पश्चिम-दक्षिण दिशा में और दक्षिण दिशा के मध्य या नैर्ऋत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य में होना चाहिए। पूर्व में भी स्नानगृह बनाया जा सकता है। स्नानगृह के पानी का निकास उत्तरी-पूर्व में होना चाहिए। स्नानगृह में रोशनदान की व्यवस्था उत्तरी या पूर्वी दीवारों में होनी चाहिए।
* शयनकक्ष में पलंग आरामदायक होना चाहिए और पलंग के मध्य में कोई लैम्प या पंखा या कोई इलैक्ट्रिक उपकरण नहीं होना चाहिए।
* अधिक से अधिक पराबैंगनी किरणों की प्राप्ति के लिए उत्तर एवं पूर्व में खाली स्थान छोड़ें या खिड़कियों और दरवाजों की व्यवस्था करें। पराबैंगनी किरणें कीटाणुओं का नाश करती हैं तथा वातावरण को शुद्घ करती हैं।
* घर का आंगन मध्य में ऊंचा और चारों तरफ से नीचा होता है तो शुभ फलदायक होता है। अगर मध्य में नीचा और चारों तरफ से ऊंचा होता है तो संपत्ति का नाश कर देता है।
* शयन कक्ष में से अधिक द्वार अशुभकारी होते हैं। शयन कक्ष में दर्पण न रखें। पलंग में दर्पण न लगवायें। अगर दर्पण रखना जरूरी हो तो उत्तर तथा पूर्वी दीवार पर दर्पण इस तरह से लगवाएं कि जब आप पलंग पर बैठें तो आप दर्पण में न दिखें। शयनकक्ष में टीवी रखना भी वर्जित है। शयन कक्ष में लकड़ी का बना पलंग अच्छा रहता है।
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मेरा हमेशा से यह प्रयास रहता है कि मैं अपने अनुभव को आपसे बांटू जिन्हें मैंने श्रेष्ठ संतों से प्रसाद स्वरूप पाया है हां मानना न मानना आपकी मर्जी है और Second Opinion लेना आापका अधिकार है, ये हमेशा याद रखें। परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि आप सुखी रहे और यह शोध आपके काम आए।
* पकाया हुआ भोजन रसोई घर में वायव्य कोण में रखना चाहिए और इस स्थान से पूर्व दिशा की ओर भोजन को परोसे जाने का प्रबंध होना चाहिए।
* आपका भवन पूर्वोन्मुखी हो तो गैराज का निर्माण दक्षिण-पूर्व दिशा में पूर्व की ओर ठीक रहेगा। भवन उत्तरोन्मुखी हो तो दक्षिण-पश्चिम दिशा में पश्चिम की तरफ गैराज का निर्माण होना चाहिए। भवन दक्षिणोन्मुखी हो तो दक्षिण-पश्चिम दिशा में पश्चिम की ओर गैराज होना चाहिए।
* उपचार के रूप में दायें हाथ में पीली धातु का कड़ा, कंगन पहनें। इससे मित्रों की संख्या बढ़ेगी। महिलाऐं सोने की चूडिय़ां पहनें। इन उपायों से धातु तत्व की कमी में सुधार आता है।
* घर का मुख्य द्वार सीढिय़ों के ऊपर समान तल पर होता है जो वास्तु की दृष्टि में अशुभ होता है। ऐसे में घर की धन-दौलत नीचे की ओर जाती हुई सीढिय़ों के माध्यम से चली जाती है और गृहस्वामी को उसके परिश्रम का फल नहीं मिलता है। इस दोष को दूर करने के लिए दरवाजे के ऊपर अष्टकोणीय दर्पण लगाना चाहिए।
* घर में स्नानघर नैर्ऋत्य कोण पश्चिम-दक्षिण दिशा में और दक्षिण दिशा के मध्य या नैर्ऋत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य में होना चाहिए। पूर्व में भी स्नानगृह बनाया जा सकता है। स्नानगृह के पानी का निकास उत्तरी-पूर्व में होना चाहिए। स्नानगृह में रोशनदान की व्यवस्था उत्तरी या पूर्वी दीवारों में होनी चाहिए।
* शयनकक्ष में पलंग आरामदायक होना चाहिए और पलंग के मध्य में कोई लैम्प या पंखा या कोई इलैक्ट्रिक उपकरण नहीं होना चाहिए।
* अधिक से अधिक पराबैंगनी किरणों की प्राप्ति के लिए उत्तर एवं पूर्व में खाली स्थान छोड़ें या खिड़कियों और दरवाजों की व्यवस्था करें। पराबैंगनी किरणें कीटाणुओं का नाश करती हैं तथा वातावरण को शुद्घ करती हैं।
* घर का आंगन मध्य में ऊंचा और चारों तरफ से नीचा होता है तो शुभ फलदायक होता है। अगर मध्य में नीचा और चारों तरफ से ऊंचा होता है तो संपत्ति का नाश कर देता है।
* शयन कक्ष में से अधिक द्वार अशुभकारी होते हैं। शयन कक्ष में दर्पण न रखें। पलंग में दर्पण न लगवायें। अगर दर्पण रखना जरूरी हो तो उत्तर तथा पूर्वी दीवार पर दर्पण इस तरह से लगवाएं कि जब आप पलंग पर बैठें तो आप दर्पण में न दिखें। शयनकक्ष में टीवी रखना भी वर्जित है। शयन कक्ष में लकड़ी का बना पलंग अच्छा रहता है।
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मेरा हमेशा से यह प्रयास रहता है कि मैं अपने अनुभव को आपसे बांटू जिन्हें मैंने श्रेष्ठ संतों से प्रसाद स्वरूप पाया है हां मानना न मानना आपकी मर्जी है और Second Opinion लेना आापका अधिकार है, ये हमेशा याद रखें। परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि आप सुखी रहे और यह शोध आपके काम आए।