मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के कोरकू और छिंदवाडा जिले के गोंड और भारिया
जनजातियों में जडी-बूटियों संबंधित पारंपरिक चिकित्सा का ज्ञान पीढी दर
पीढी सदियों से चला आ रहा है। आम रूप से उपलब्ध वन और ग्रामीण संपदाओं का
दोहन इन आदिवासियों द्वारा तमाम रोगोपचारों के लिए किया जाता रहा है।
अब वक्त आ गया है जब आधुनिक विज्ञान भी इस पारंपरिक ज्ञान का लोहा मानने लगा है और विश्व स्वास्थ्य संगठन भी मानता है कि विकासशील देशों में रहने वाले लोगों में से लगभग 80 प्रतिशत लोग आज भी अपने प्राथमिक उपचार के लिए पारंपरिक ज्ञान पर भरोसा करते हैं।
चलिए जानते है मध्यप्रदेश के इन दो क्षेत्रों में पाए जाने वाले कुछ प्रमुख औषधीय पौधों और उनके गुणों को और कुछ पारंपरिक आदिवासी नुस्खों को जिनका उपयोग कर आप भी तमाम रोगों से निजात पा सकते हैं।
आदिवासी इलाकों में पायी जाने वाली कुछ वनस्पतियों और पारंपरिक नुस्खों का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित करने का काम कर रहे हैं....
1. अडूसा
लगभग 5 मिली पत्तियों का रस लेने से सर्दी खाँसी में आराम मिल जाता है साथ ही यही रस महिलाओं में मासिक धर्म को नियमित करने में भी मदद करता है।
2. सदाबहार या सदा सुहागन
दो फू़लों को एक कप गर्म पानी में 10 मिनट के लिए डुबा लिया जाए और फिऱ ठंडा होने पर पी लिया जाए, यह मधुमेह में फ़ायदा करता है।
3. काली तुलसी
5-10 पत्तियों को कुचल लिया जाए और रस निकाला जाए और कान में डाला जाए तो यह कान दर्द में आराम दिलाता है।
4. तुलसी
तुलसी के बीजों को दिन में 2-3 बार चबाने से अपचन और एसिडिटी में फ़ायदा होता है।
5. अकरकरा
फ़ूलों की कलियों को दाँतो और मसूडों पर रखकर चबाया जाए तो दर्द में अतिशीघ्र आराम मिलता है।
6. पान
कच्ची पत्ती को चबाने से हृदय के वाल्व में जमाव या ब्लोकेज में फायदा होता है।
7. अजवायन
अजवायन के बीजों को काले नमक के साथ चबाने से अपचन में फायदा होता है।
8. पुदिना
पुदिना की पत्तियों को चुटकी भर कपूर और सरसों तेल में मिलाकर पीठ दर्द में लगाया जाए तो आराम मिलता है।
9. गौती चाय, निंबु घास, हरी चाय, लेमन ग्रास पानी में पत्तियों को उबाला जाए और दिन में दो बार लिया जाए, इससे अस्थमा और ब्रोंकायटिस में लाभ होता है।
10. हडजोड
पूरे पौधे को कुचल लिया जाए और टूटी हुई हड्डियों वाले हिस्सों पर लगाया जाए, माना जाता है कि यह टूटी हड्डियों को व्यवस्थित कर देता है।
11. एलोवेरा
पत्तियों से प्राप्त जैल को दिन में दो बार लेने से उच्च रक्तचाप में फ़ायदा होता है।
12. शतावर, शतावरी
जडों का चूर्ण (4 ग्राम) एक गिलास गुनगुने दूध के साथ प्रतिदिन लेने से शरीर को ऊर्जा मिलती है।
13. जासवंत, गुडहल
लाल फूलों को कुचलकर बालों पर लगाया जाए, यह कंडीशनर की तरह काम करता है और बालों का पकना भी रोकता है।
14. पीपल
पेड की छाल को पानी में उबाला जाए और बालों पर लगाया जाए, यह गंजापन दूर करता है और नए बालों के उगने में भी मदद करता है।
15. अश्वगंधा
जडों का चूर्ण मिश्री के साथ दिन में दो बार लेने से शरीर में ताकत और ऊर्जा का संचार होता है।
16. अंतमूल
इसकी जडों को चाय में उबालकर पीने से अस्थमा में गुणकारी होता है।
17. लटजीरा, लटकन, लटकना
बीजों को मिट्टी के बर्तन में भून लिया जाए और चबाया जाए, यह भूख मिटाता है और वजन कम करने में मदद भी करता है।
18. छुईमुई
इसकी जडें टोनिक की तरह काम करती है। जडों की 50 ग्राम मात्रा को पानी के साथ पीसकर रस तैयार करें और दिन में दो बार इसका सेवन करें, ताकत प्रदान करती है।
19. गेंदा
दाद-खाज और खुजली वाले हिस्सों पर पत्तियों को रगड लिया जाए, जल्द ही आराम मिल जाता है।
20. पत्थरफोड, पत्थरचट्टा
पत्तियों को कुचलकर रस तैयार कर लिया जाए, रोज एक गिलास रस पंद्रह दिनों तक लगातार लेने से पथरी निकल जाती है।
अब वक्त आ गया है जब आधुनिक विज्ञान भी इस पारंपरिक ज्ञान का लोहा मानने लगा है और विश्व स्वास्थ्य संगठन भी मानता है कि विकासशील देशों में रहने वाले लोगों में से लगभग 80 प्रतिशत लोग आज भी अपने प्राथमिक उपचार के लिए पारंपरिक ज्ञान पर भरोसा करते हैं।
चलिए जानते है मध्यप्रदेश के इन दो क्षेत्रों में पाए जाने वाले कुछ प्रमुख औषधीय पौधों और उनके गुणों को और कुछ पारंपरिक आदिवासी नुस्खों को जिनका उपयोग कर आप भी तमाम रोगों से निजात पा सकते हैं।
आदिवासी इलाकों में पायी जाने वाली कुछ वनस्पतियों और पारंपरिक नुस्खों का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित करने का काम कर रहे हैं....
1. अडूसा
लगभग 5 मिली पत्तियों का रस लेने से सर्दी खाँसी में आराम मिल जाता है साथ ही यही रस महिलाओं में मासिक धर्म को नियमित करने में भी मदद करता है।
2. सदाबहार या सदा सुहागन
दो फू़लों को एक कप गर्म पानी में 10 मिनट के लिए डुबा लिया जाए और फिऱ ठंडा होने पर पी लिया जाए, यह मधुमेह में फ़ायदा करता है।
3. काली तुलसी
5-10 पत्तियों को कुचल लिया जाए और रस निकाला जाए और कान में डाला जाए तो यह कान दर्द में आराम दिलाता है।
4. तुलसी
तुलसी के बीजों को दिन में 2-3 बार चबाने से अपचन और एसिडिटी में फ़ायदा होता है।
5. अकरकरा
फ़ूलों की कलियों को दाँतो और मसूडों पर रखकर चबाया जाए तो दर्द में अतिशीघ्र आराम मिलता है।
6. पान
कच्ची पत्ती को चबाने से हृदय के वाल्व में जमाव या ब्लोकेज में फायदा होता है।
7. अजवायन
अजवायन के बीजों को काले नमक के साथ चबाने से अपचन में फायदा होता है।
8. पुदिना
पुदिना की पत्तियों को चुटकी भर कपूर और सरसों तेल में मिलाकर पीठ दर्द में लगाया जाए तो आराम मिलता है।
9. गौती चाय, निंबु घास, हरी चाय, लेमन ग्रास पानी में पत्तियों को उबाला जाए और दिन में दो बार लिया जाए, इससे अस्थमा और ब्रोंकायटिस में लाभ होता है।
10. हडजोड
पूरे पौधे को कुचल लिया जाए और टूटी हुई हड्डियों वाले हिस्सों पर लगाया जाए, माना जाता है कि यह टूटी हड्डियों को व्यवस्थित कर देता है।
11. एलोवेरा
पत्तियों से प्राप्त जैल को दिन में दो बार लेने से उच्च रक्तचाप में फ़ायदा होता है।
12. शतावर, शतावरी
जडों का चूर्ण (4 ग्राम) एक गिलास गुनगुने दूध के साथ प्रतिदिन लेने से शरीर को ऊर्जा मिलती है।
13. जासवंत, गुडहल
लाल फूलों को कुचलकर बालों पर लगाया जाए, यह कंडीशनर की तरह काम करता है और बालों का पकना भी रोकता है।
14. पीपल
पेड की छाल को पानी में उबाला जाए और बालों पर लगाया जाए, यह गंजापन दूर करता है और नए बालों के उगने में भी मदद करता है।
15. अश्वगंधा
जडों का चूर्ण मिश्री के साथ दिन में दो बार लेने से शरीर में ताकत और ऊर्जा का संचार होता है।
16. अंतमूल
इसकी जडों को चाय में उबालकर पीने से अस्थमा में गुणकारी होता है।
17. लटजीरा, लटकन, लटकना
बीजों को मिट्टी के बर्तन में भून लिया जाए और चबाया जाए, यह भूख मिटाता है और वजन कम करने में मदद भी करता है।
18. छुईमुई
इसकी जडें टोनिक की तरह काम करती है। जडों की 50 ग्राम मात्रा को पानी के साथ पीसकर रस तैयार करें और दिन में दो बार इसका सेवन करें, ताकत प्रदान करती है।
19. गेंदा
दाद-खाज और खुजली वाले हिस्सों पर पत्तियों को रगड लिया जाए, जल्द ही आराम मिल जाता है।
20. पत्थरफोड, पत्थरचट्टा
पत्तियों को कुचलकर रस तैयार कर लिया जाए, रोज एक गिलास रस पंद्रह दिनों तक लगातार लेने से पथरी निकल जाती है।